सृजन

 


मैं फूलों की खुशबू हूँ 

मैं बीज का अंकुरण हूँ 

मैं फ़िज़ा की सरसराहट हूँ 

मैं ध्वनि का कम्पन हूँ 

मैं सूरज की रोशनी हूँ 

मैं चाँद की शीतलता हूँ 

मैं सितारों की झिलमिलाहट हूँ 

मैं चिड़ियों की चहचहाहट हूँ 

मैं पशुओं की मूकता हूँ 

मैं पत्थरों की ठोस हूँ 

मैं मिटटी की तन्यकता हूँ 

मैं जल की निर्मलता हूँ 

मैं अग्नि की गर्माहट हूँ 

मैं आकाश की असीमता हूँ 

मैं पर्वत का शिखर हूँ 

मैं समंदर का तह हूँ 

मैं नवजात की किलकारी हूँ 

मैं मृत की निस्तब्धता हूँ 

मैं पूर्णता हूँ 

मैं शून्यता हूँ |

 

~कीर्ति

   


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