दस्तक


कहाँ दौड़ा रही ज़िन्दगी

पल भर चैन तो ले

किसने देखा कल क्या है पाना

फिर पूछती हो, ये कैसा सफरनामा |

 

क्यों उलझ गया है तू

दुनिया की अनेको रीतियों में

कुदरत में यह धरती रेत के अणु की भांति

और तू फिर कैसे इतना बड़ा, ये हूँ पूछती।

 


क्या है जात - पात, धर्म, लिंग, रंग- रुप, नाम - शौहरत

हर पल दे रही दस्तक तुझमे

पहले इस जीवन को तो जान

एक बार तो बेख़ौफ़ हो, इसे अब तू थाम ।।

 

~ कीर्ति

21-08-2021

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